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1. गीत- बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रे
Song- Bachpan Ka Pyar Mera Bhul Nahin Jana Re
मिलने के चक्कर में स्कूल नहीं जाना रेबचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रेतेरे साथ जिए वो बचपन के पल कितने अच्छे थेकिसीको हम पर शक न हुआ हम जो बच्चे थेवो प्यार का राज खुल नहीं जाना रबचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रेप्यार से भाव खाके देखना यूं मुस्कुराकरदेखने के लिए तुझे काटना गलियों का चक्करमेरे द्वारा दिए गए तुझे फूल नहीं भाना रेबचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रेआज भी जुबां पर तेरा ही जिक्र रहता हैमेरी सांसों में आज भी तेरे चेहरे का इत्र बहता हैमुझे छोड़कर किसी और के रंग में घुल नहीं जाना रेबचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रे
2. कविता- उदास मत हो
Poem- Udas Mat Ho
उदास मत हो खिलते फूलों को देखनदियों तालाबों में यूंही पत्थर तू फेंकआवाज तू सुन बहते जल कीभूल जा सारी बातें गुजरे कल की
उदास मत हो सुन संगीत को
याद कर अपनों की प्रीत को
कुछ नहीं तो मुंह टेढ़ा कर देख दर्पण में
कभी कभी तू लौट आ अपने बचपन में
उदास मत हो करले तू पढ़ाई
कुछ नहीं तो जी भरके ले अंगड़ाई
हर सुबह तू करले योगा
नेकी से मेहनत कर सबकुछ होगा
उदास मत हो याद कर ईश्वर को
कुछ नहीं तो साफ करदे अपने घर को
डर मत तू कुछ खोने से
खुशियां मिलती हैं खुश होने से।
3. कविता - सपना बड़ा ही सुन्दर थ
Poem- Sapna Bada Hi Sundar Tha
सुबह बड़ा मनमोहक था
मिजाज बड़ा ही रोचक था
सूरज निकला था जैसे नहा धोकर
किरणपुंज ने छुआ था रूह को पुलकित होकर
कोयल की मधुर पुकार थी
सुहानी हवा की खुमार थी
नज़र गड़ाए जैसे नीला अम्बर था
सपना बड़ा सुंदर था ।
मतवाली खुशबू आ रही थी गुलिस्तां से
तितलियां विराज रहीं थीं फूलों पर आहिस्ता से
आशियाने में मधुमक्खियां गुफ्तगू कर रहीं थीं
मनोरम दृश्य की छाया जैसे मेरे ऊपर पड़ रही थी
कड़कती धूप में भी हरी पत्तियां डोल रहीं थीं
कानों में जैसे संगीत घोल रहीं थीं
क्या खूब वो दोपहर था
सपना बड़ा ही सुन्दर था ।
आश्रय को लौट रहे थे गुमराह सभी
वसुंधरा पर थी जैसे इंद्रधनुष की छवि
रोशनी छिपी थी अंधेरे से खजालत करके
सुकून मिला था प्रकृति से चाहत करके
मन में खुशियों का तरंग सफर कर रहा था
जगमग जगमग हर शहर कर रहा था
वो शाम भी कितना मनोहर था
सपना बड़ा ही सुन्दर था ।
चांदनी रात में निकला था चांद इस्तिहार करने
टिमटिमाते तारे और चमकते जुगनू लगे थे चमत्कार करने
दूर दूर तक कहीं एक भी न शब्द था
इस गुमसुम में मैं बिल्कुल मंत्रमुग्ध था
रातरानी की महक में जैसे एक नशा था
प्रकृति में ये खुबसूरती सुसीर बनके बसा था
कितना सुनहरा हर मंजर था
सपना बड़ा ही सुन्दर था ।
4. देशभक्ति कविता हिन्दी में
कविता- तिरंगे से लिपटकर सरोबार होना चाहता हूं
Poem- Tirange Se Lipatkar Sarobar Hona Chahta Hoon
देश के लिए एक नागरिक
होनहार होना चाहता हूं
वतन की मोहब्बत में डूब के
बेशुमार होना चाहता हूं
यहां के लोगों से रूबरू
यार होना चाहता हूं
हवाओं में खुद को घोलके
आर पार होना चाहता हूं
यहां की मिट्टी में सनकर मदहोश
एक बार होना चाहता हूं
भारत की इसी मिट्टी पर पैदा
बार बार होना चाहता हूं
और मरने के बाद तिरंगे से लिपटकर
सरोबार होना चाहता हूं
5. कविता- क्या बताऊं कैसे मैं बड़ा बना
Poem- Kya Bataun Kaise Main Bada बना
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6. कविता- उसे बनाने वाले की ज्यामिति जबरदस्त होगी
Poem- Use Banane Wale Ki Jyamiti Jabardast Hogi
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7. कविता- है ये स्वाद सर्दी का
Poem- Hai Ye Swad Sardi Ka
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ठंडी हवा की एक झोंका टकराई जिस्म से
परिवर्तित हुआ मौसम सर्दी में ग्रीष्म से
पर है यही मनमानी मौसम के मर्जी का
है ये स्वाद सर्दी का
अब तो इंतजार रहता है सूर्य के निकलने का
छूटता नहीं बिस्तर देखकर क्षेत्र कुहासा के बिखरने का
चाहते हैं लेना मजा गर्मागर्म चाय- पकौड़ी का
है ये स्वाद सर्दी का
पानी की जगह आग छूना चाहते है
कपड़े जैसे शरीर का एक अंग बन जाते हैं
है ये सजा न जाने किस गलती का
है ये स्वाद सर्दी का
पर सर्दी न होती तो गर्मी न भाती
फसलें रबी की बोई न जाती
शुक्रगुजार है इस हमदर्दी का
है ये स्वाद सर्दी का
8. कविता - बस कुछ नहीं नौकरी के भरोसे खाली बैठा हूं
Poem- Bas Kuchh Nahin Naukri Ke Bharose Khali Baitha Hoon
सोचा था पढ़ लिखकर
चमकेगी अपनी किस्मत इस कदर
गम का कोई लम्हा न रहेगा
सभी खुश होंगे किसी का अधूरा अरमा न रहेगा
पर पता न था की नजर लग जायेगी
सपने को हकीकत होने में उमर लग जायेगी
जिन्दगी जैसे खालीपन सा हो गया है
जमाने भर का जतन सा हो गया है
बेबश मन यहां वहां भटकाती है
लोगों के ताने आंखों से नजर आती है
बातों से लगता है सब ऐंठे हुए हैं
इधर घरवाले आस लगाए बैठे हुए हैं
मायूसी में मैं मोती के पल गुजारता हूं
मां की फटी साड़ी में अपनी गरीबी निहारता हूं
जिम्मेदारियां मेरी ओर हाथ बढ़ाए जा रहीं हैं
नाकामयाबी और खाली जेब सताए जा रही है
जिस दिन ये हालाते हद से पार जायेगी
मुझे डर है कि मौत के घाट उतार जायेगी
फिलहाल सपनों की दुनिया में जाने के लिए लेटा हूं
बस कुछ नहीं नौकरी के भरोसे खाली बैठा हूं
9. कविता- जो सोचा न था वो दिन भी आया है
Poem- Jo Socha Na Tha Vo Din Bhi Aaya Hai
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10. कविता- एक आखिरी कोशिश करके तो देखो
Poem- Ek Akhiri Koshish Karke To Dekho
एक आखिरी कोशिश करके तो देखो - कविता
जब मन हारकर लौट आने को चाहेजीत भी तुम्हे हराने को चाहेतो अपने आप से ये गुजारिश करके तो देखोएक आखिरी कोशिश करके तो देखो
ऐसे हालात में किस्मत भी आपको आजमाती हैनकारात्मक सोच मंजिल की राह से भटकाती हैतो मंजिल की ओर शीश करके तो देखोएक आखिरी कोशिश करके तो देखो
पाने की चाह रखो बड़े ही शिद्दत सेअसफलता खायेगी मात कठिन मेहनत सेएक बार ये साजिश करके तो देखोएक आखिरी कोशिश करके तो देखो
11.कविता- हैप्पी न्यू ईयर की हाहाकार
Poem- Happy New Year Ki
तड़के उठकर टटोला सिरहाना
मोबाइल को था हाथों में आना
लिखने चला हाथों की रफ्तार
हैप्पी न्यू ईयर की हाहाकार
सबसे पहले की होड़ लगी
अगुआई में लगे हैं सभी
करना है सबको इजहार
हैप्पी न्यू ईयर की हाहाकार
यही हवा चली शहरों में गांवों में
बड़े भारी मायने हैं सबके भावनाओं में
सभी हैं जैसे शब्दों के कलाकार
हैप्पी न्यू ईयर की हाहाकार
12. कविता- ख़ामोशी
Poem- Khamoshi
खामोशी है जुबान एक टूटे हुए दिल की
खामोशी है जुबान एक भीगे नैन की
खामोशी है जुबान भीतर छुपे घाव की
खामोशी है जुबान किसी के अभाव की
खामोशी है जुबान एक बीमार की
खामोशी है जुबान एक लाचार की
खामोशी है जुबान एक अनुत्तीर्ण विद्यार्थी की
खामोशी है जुबान एक अपराधी की
खामोशी है जुबान एक डर की
खामोशी है जुबान एक खंडहर की
खामोशी है जुबान एक षडयंत्र या बहाने की
खामोशी है जुबान किसी के गुज़र जाने की
13. कविता- लता दी ऐसी एक गायिका थीं
Poem- Lata Di Aisi Ek Gayika Thin
एक गायिका परिचय की मोहताज नहीं
हुआ है न होगी ऐसी आवाज कहीं
हर तरफ बिखरा पड़ा है उनका गीत
याद रहेगा सबको ये अतीत
गले में उनके मां सरस्वती की वास थी
उनके हर गीत में एक अलग मिठास थी
हर होंठ गुनगुनाएंगे उनके गाने सदियों तक
सुरीली हवा बहती रहेगी गलियों-कलियों घाटी- वादियों तक
गायिकी की कला से सृजित थीं
वो अनेकों पुरुष्कारों से पुरुष्कृत थीं
भारत की वो स्वर कोकिला थीं
लता दी ऐसी एक गायिका थीं
14.कविता का नाम : ये कोरोना का अंदाज़ है।
Poem- Ye Corona Ka Andaz Hai
लोगों के खुशहाल जीवन में एक हमराज बनकर
चुपके चुपके आया वो एक राज़ बनकर
जो कविता पढ़ने वाले आज है
वो ये कोरोना का अंदाज़ है।
ये कोरोना का अंदाज़ है
एक झटके में सबकुछ बदल गया
चहचहाती शाम न जाने कब ढल गया
कल जो था क्या वो आज है
ये कोरोना का अंदाज़ है।
एक शब्द घातक बीमारी का रूप ले लिया
देखते ही देखते महामारी का रूप ले लिया
कौन इतना चालबाज है
ये कोरोना का अंदाज़ है।
भीड़ में चलने वाले लोग अब अकेले चलने लगे
जो कभी गले लगकर पूछते थे हाल वो बिछड़ने लगे
लोगों में एक डर का ताज है
ये कोरोना का अंदाज़ है।
बच्चे खो रहे हैं शिक्षा, जवान खो रहे रोजगार
बैठे हैं आश लगाए दूर होगी कब ये अंधकार
खुश होने के बजाय नाराज़ है
ये कोरोना का अंदाज़ है।
किसी का छांव में भी बहा पसीना किसी का धूप में पसीना सूखा
कोई जुटा पाता है मुश्किल से दो वक्त की रोटी कोई रहता है भूखा
न पैसा है और न ही अनाज है
ये कोरोना का अंदाज़ है।
कोई कर रहा है सहायता, कोई उठा रहा है फायदा
कोई हँस रहा है कम, रो रहा है ज्यादा
ऐसा भी हो गया ये समाज है
ये कोरोना का अंदाज़ है।
मास्क, सैनिटाइजरऔर सामाजिक दूरी का पालन करो ज़रूर
ये रखेंगे आपको कोरोना वायरस से दूर
ये बिल्कुल सत्य अल्फाज़ है
ये कोरोना का अंदाज़ है।
इस महामारी में कइयो ने खोए किसी न किसी अपने को
तो आइए मिलकर पूरा करते हैं कोरोना से जंग जीत लेने के सपने को
ये दृढ़संकल्प नए सवेरा का आगाज़ है
ये कोरोना का अंदाज़ है ।
15. कविता- हां वो एक पिता है
Poem- Haan Vo Ek Pita Hai
16. कविता- बधाई हो सबको रक्षा बंधन का
Poem- Badhai Ho Sabko Raksha Bandhan Ka
17. Happy promise day poem (Valentine's week)
मायूस एक क्षण के लिए भी तुझे होने न दूंगा