अलग अलग प्रकार की बेस्ट हिंदी कविताएं। प्यार, प्रकृति और जिंदगी पर हिंदी कविता

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दोस्तों आज के इस डिजिटल जमाने में मूवीज देखना और गेम खेलना जहां सबसे लोकप्रिय एंटरटेनमेंट है वहीं हम कुछ ऐसे साधन भी है जो हमें मनोरंजन तो कराती ही है साथ ही साथ शब्दों का ज्ञान भी देती है। जी हां दोस्तों उस साधन का नाम है ' कविता ' जिसे नजरंदाज बिल्कलभी नहीं किया जा सकता। दोस्तों अपने भावनाओं या विचारों को रोचक तरीके से प्रस्तुत करने का सबसे बढ़िया है काव्य लेखन। तो दोस्तों इस भाग में आप पढ़ेंगे विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े ढेर सारे रोचक कविताएं जिन्हें पढ़कर आप अवश्य ही आनंदित महसूस करेंगे।





1.      गीत- बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रे

     Song- Bachpan Ka Pyar Mera Bhul Nahin                           Jana Re

           
                           बचपन का वो बचपना सा प्यार
                            नासमझ होकर भी करना आंखे चार
मिलने के चक्कर में स्कूल नहीं जाना रे
बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रे

तेरे साथ जिए वो बचपन के पल कितने अच्छे थे
किसीको हम पर शक न हुआ हम जो बच्चे थे
वो प्यार का राज खुल नहीं जाना र 
बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रे 

प्यार से भाव खाके देखना यूं मुस्कुराकर
देखने के लिए तुझे काटना गलियों का चक्कर
मेरे द्वारा दिए गए तुझे फूल नहीं भाना रे
बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रे

आज भी जुबां पर तेरा ही जिक्र रहता है
मेरी सांसों में आज भी तेरे चेहरे का इत्र बहता है
मुझे छोड़कर किसी और के रंग में घुल नहीं जाना रे
बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रे


2.  कविता- उदास मत हो

      Poem- Udas Mat Ho



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उदास मत हो खिलते फूलों को देख
नदियों तालाबों में यूंही पत्थर तू फेंक
आवाज तू सुन बहते जल की
भूल जा सारी बातें गुजरे कल की


       उदास मत हो सुन संगीत को 

       याद कर अपनों की प्रीत को 

       कुछ नहीं तो मुंह टेढ़ा कर देख दर्पण में

        कभी कभी तू लौट आ अपने बचपन में


        उदास मत हो करले तू पढ़ाई

        कुछ नहीं तो जी भरके ले अंगड़ाई

        हर सुबह तू करले योगा

        नेकी से मेहनत कर सबकुछ होगा


        उदास मत हो याद कर ईश्वर को

        कुछ नहीं तो साफ करदे अपने घर को

        डर मत तू कुछ खोने से

        खुशियां मिलती हैं खुश होने से।



3. कविता - सपना बड़ा ही सुन्दर थ

    Poem- Sapna Bada Hi Sundar Tha


सुबह बड़ा मनमोहक था

मिजाज बड़ा ही रोचक था

सूरज निकला था जैसे नहा धोकर

किरणपुंज ने छुआ था रूह को पुलकित होकर

कोयल की मधुर पुकार थी

सुहानी हवा की खुमार थी

नज़र गड़ाए जैसे नीला अम्बर था

सपना बड़ा सुंदर था ।


मतवाली खुशबू आ रही थी गुलिस्तां से

तितलियां विराज रहीं थीं फूलों पर आहिस्ता से

आशियाने में मधुमक्खियां गुफ्तगू कर रहीं थीं

मनोरम दृश्य की छाया जैसे मेरे ऊपर पड़ रही थी

कड़कती धूप में भी हरी पत्तियां डोल रहीं थीं

कानों में जैसे संगीत घोल रहीं थीं

क्या खूब वो दोपहर था

सपना बड़ा ही सुन्दर था ।


आश्रय को लौट रहे थे गुमराह सभी

वसुंधरा पर थी जैसे इंद्रधनुष की छवि

रोशनी छिपी थी अंधेरे से खजालत करके

सुकून मिला था प्रकृति से चाहत करके

मन में खुशियों का तरंग सफर कर रहा था

जगमग जगमग हर शहर कर रहा था

वो शाम भी कितना मनोहर था

सपना बड़ा ही सुन्दर था ।


चांदनी रात में निकला था चांद इस्तिहार करने

टिमटिमाते तारे और चमकते जुगनू लगे थे चमत्कार करने

दूर दूर तक कहीं एक भी न शब्द था

इस गुमसुम में मैं बिल्कुल मंत्रमुग्ध था

रातरानी की महक में जैसे एक नशा था

प्रकृति में ये खुबसूरती सुसीर बनके बसा था

कितना सुनहरा हर मंजर था

सपना बड़ा ही सुन्दर था ।



4. देशभक्ति कविता हिन्दी में

       कविता- तिरंगे से लिपटकर सरोबार होना चाहता हूं

        Poem- Tirange Se Lipatkar Sarobar Hona                                      Chahta Hoon

             
Republic day poem in hindi


 देश के लिए एक नागरिक

होनहार होना चाहता हूं

वतन की मोहब्बत में डूब के

बेशुमार होना चाहता हूं

यहां के लोगों से रूबरू

यार होना चाहता हूं

हवाओं में खुद को घोलके

आर पार होना चाहता हूं

यहां की मिट्टी में सनकर मदहोश

एक बार होना चाहता हूं

भारत की इसी मिट्टी पर पैदा

बार बार होना चाहता हूं

और मरने के बाद तिरंगे से लिपटकर

सरोबार होना चाहता हूं



5.    कविता- क्या बताऊं कैसे मैं बड़ा बना

     Poem- Kya Bataun Kaise Main Bada बना

     
                 
क्या बताऊं कैसे मैं बड़ा बना
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6.    कविता- उसे बनाने वाले की ज्यामिति जबरदस्त होगी

         Poem- Use Banane Wale Ki Jyamiti                                         Jabardast Hogi


            

Fannashayari
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7. कविता- है ये स्वाद सर्दी का

    Poem- Hai Ye Swad Sardi Ka


       
शीत ऋतु पर सुंदर कविता A poem on winter
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 ठंडी हवा की एक झोंका टकराई जिस्म से

       परिवर्तित हुआ मौसम सर्दी में ग्रीष्म से 

        पर है यही मनमानी मौसम के मर्जी का

        है ये स्वाद सर्दी का


       अब तो इंतजार रहता है सूर्य के निकलने का

       छूटता नहीं बिस्तर देखकर क्षेत्र कुहासा के बिखरने का

       चाहते हैं लेना मजा गर्मागर्म चाय- पकौड़ी का

       है ये स्वाद सर्दी का

  

      पानी की जगह आग छूना चाहते है

      कपड़े जैसे शरीर का एक अंग बन जाते हैं

      है ये सजा न जाने किस गलती का

      है ये स्वाद सर्दी का


     पर सर्दी न होती तो गर्मी न भाती

     फसलें रबी की बोई न जाती

     शुक्रगुजार है इस हमदर्दी का

      है ये स्वाद सर्दी का

              

 

8. कविता - बस कुछ नहीं नौकरी के भरोसे खाली बैठा हूं

    Poem- Bas Kuchh Nahin Naukri Ke Bharose                          Khali Baitha Hoon

 

       बस कुछ नहीं नौकरी के भरोसे खाली बैठा हूं


 सोचा था पढ़ लिखकर

चमकेगी अपनी किस्मत इस कदर

गम का कोई लम्हा न रहेगा

सभी खुश होंगे किसी का अधूरा अरमा न रहेगा

पर पता न था की नजर लग जायेगी

सपने को हकीकत होने में उमर लग जायेगी

जिन्दगी जैसे खालीपन सा हो गया है

जमाने भर का जतन सा हो गया है

बेबश मन यहां वहां भटकाती है

लोगों के ताने आंखों से नजर आती है

बातों से लगता है सब ऐंठे हुए हैं

इधर घरवाले आस लगाए बैठे हुए हैं

मायूसी में मैं मोती के पल गुजारता हूं

मां की फटी साड़ी में अपनी गरीबी निहारता हूं

जिम्मेदारियां मेरी ओर हाथ बढ़ाए जा रहीं हैं

नाकामयाबी और खाली जेब सताए जा रही है

जिस दिन ये हालाते हद से पार जायेगी

मुझे डर है कि मौत के घाट उतार जायेगी

फिलहाल सपनों की दुनिया में जाने के लिए लेटा हूं

बस कुछ नहीं नौकरी के भरोसे खाली बैठा हूं



9. कविता- जो सोचा न था वो दिन भी आया है

     Poem- Jo Socha Na Tha Vo Din Bhi Aaya Hai


        
जो सोचा न था वो दिन भी आया है
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             न रोटी न काम
             घटते खर्चे बढ़ते दाम
             फट गए तन के कपड़े
             गरीबी है जीवन को जकड़े
             न बेहतर शिक्षा न रोजगार
             हो रही सारी डिग्रियां बेकार
             करना है हर दुविधा का उपचार
             अजीबों गरीब है अपनी सरकार
             न बेचैनी न राहत की सांस
             कोई भी रिश्ता रहा न खास
            कोरोना ये कैसा तूने जाल बिछाया है
            जो सोचा न था वो दिन भी आया है



10.      कविता- एक आखिरी कोशिश करके तो देखो

        Poem- Ek Akhiri Koshish Karke To Dekho


               

एक आखिरी कोशिश करके तो देखो - कविता


जब मन हारकर लौट आने को चाहेजीत भी तुम्हे हराने को चाहेतो अपने आप से ये गुजारिश करके तो देखोएक आखिरी कोशिश करके तो देखो
ऐसे हालात में किस्मत भी आपको आजमाती हैनकारात्मक सोच मंजिल की राह से भटकाती हैतो मंजिल की ओर शीश करके तो देखोएक आखिरी कोशिश करके तो देखो
पाने की चाह रखो बड़े ही शिद्दत सेअसफलता खायेगी मात कठिन मेहनत सेएक बार ये साजिश करके तो देखोएक आखिरी कोशिश करके तो देखो


11.कविता- हैप्पी न्यू ईयर की हाहाकार

                        Poem- Happy New Year Ki   


                                  तड़के उठकर टटोला सिरहाना

मोबाइल को था हाथों में आना

लिखने चला हाथों की रफ्तार

हैप्पी न्यू ईयर की हाहाकार



सबसे पहले की होड़ लगी

अगुआई में लगे हैं सभी

करना है सबको इजहार

हैप्पी न्यू ईयर की हाहाकार



यही हवा चली शहरों में गांवों में

बड़े भारी मायने हैं सबके भावनाओं में

सभी हैं जैसे शब्दों के कलाकार

हैप्पी न्यू ईयर की हाहाकार





12. कविता- ख़ामोशी

        Poem- Khamoshi

    
         Poem of Silence

 

खामोशी है जुबान एक टूटे हुए दिल की

खामोशी है जुबान एक भीगे नैन की

खामोशी है जुबान भीतर छुपे घाव की

खामोशी है जुबान किसी के अभाव की

खामोशी है जुबान एक बीमार की

खामोशी है जुबान एक लाचार की

खामोशी है जुबान एक अनुत्तीर्ण विद्यार्थी की

खामोशी है जुबान एक अपराधी की

खामोशी है जुबान एक डर की

खामोशी है जुबान एक खंडहर की

खामोशी है जुबान एक षडयंत्र या बहाने की

खामोशी है जुबान किसी के गुज़र जाने की



13. कविता- लता दी ऐसी एक गायिका थीं

       Poem- Lata Di Aisi Ek Gayika Thin



 एक गायिका परिचय की मोहताज नहीं

हुआ है न होगी ऐसी आवाज कहीं

हर तरफ बिखरा पड़ा है उनका गीत

याद रहेगा सबको ये अतीत


गले में उनके मां सरस्वती की वास थी

उनके हर गीत में एक अलग मिठास थी

हर होंठ गुनगुनाएंगे उनके गाने सदियों तक

सुरीली हवा बहती रहेगी गलियों-कलियों घाटी- वादियों तक


गायिकी की कला से सृजित थीं

वो अनेकों पुरुष्कारों से पुरुष्कृत थीं

भारत की वो स्वर कोकिला थीं

लता दी ऐसी एक गायिका थीं



14.कविता का नाम : ये कोरोना का अंदाज़ है।

    Poem- Ye Corona Ka Andaz Hai

लोगों के खुशहाल जीवन में एक हमराज बनकर 

चुपके चुपके आया वो एक राज़ बनकर 

जो कविता पढ़ने वाले आज है

वो ये कोरोना का अंदाज़ है।

     

                       ये कोरोना का अंदाज़ है


    एक झटके में सबकुछ बदल गया

    चहचहाती शाम न जाने कब ढल गया

    कल जो था क्या वो आज है

    ये कोरोना का अंदाज़ है। 

 

    एक शब्द घातक बीमारी का रूप ले लिया

    देखते ही देखते महामारी का रूप ले लिया

    कौन इतना चालबाज है

    ये कोरोना का अंदाज़ है।


    भीड़ में चलने वाले लोग अब अकेले चलने लगे

    जो कभी गले लगकर पूछते थे हाल वो बिछड़ने लगे

    लोगों में एक डर का ताज है

    ये कोरोना का अंदाज़ है।


    बच्चे खो रहे हैं शिक्षा, जवान खो रहे रोजगार

    बैठे हैं आश लगाए दूर होगी कब ये अंधकार

    खुश होने के बजाय नाराज़ है

    ये कोरोना का अंदाज़ है। 


    किसी का छांव में भी बहा पसीना किसी का धूप में पसीना सूखा 

    कोई जुटा पाता है मुश्किल से दो वक्त की रोटी कोई रहता है भूखा

    न पैसा है और न ही अनाज है

    ये कोरोना का अंदाज़ है।


    कोई कर रहा है सहायता, कोई उठा रहा है फायदा

    कोई हँस रहा है कम, रो रहा है ज्यादा

    ऐसा भी हो गया ये समाज है 

    ये कोरोना का अंदाज़ है। 


   मास्क, सैनिटाइजरऔर सामाजिक दूरी का पालन करो ज़रूर

   ये रखेंगे आपको कोरोना वायरस से दूर 

   ये बिल्कुल सत्य अल्फाज़ है

   ये कोरोना का अंदाज़ है।

 

   इस महामारी में कइयो ने खोए किसी न किसी अपने को 

  तो आइए मिलकर पूरा करते हैं कोरोना से जंग जीत लेने के सपने को

   ये दृढ़संकल्प नए सवेरा का आगाज़ है

   ये कोरोना का अंदाज़ है ।



15. कविता- हां वो एक पिता है

       Poem- Haan Vo Ek Pita Hai


             कविता – हां वो एक पिता है

     एक परिवार का वो शान होता है
       जैसे तलवार का मयान होता है
       सबकी खुशी के लिए चुपचाप गम पीता है
       हां वो एक पिता है।

       बेटियां उसके लिए परी हैं बेटें राजा बाबू
       हर ख्वाहिश करता है पूरी करके जैसे जादू
       इसीलिए तो सब उसका चहिता है
       हां वो एक पिता है।

       उससे ही दुनिया है कायनात है
       बेफिक्र है वो जिसके वो साथ है
       वो अपने बच्चो के लिए जीता है
       हां वो एक पिता है।

       कड़ी धूप में जैसे शीतल छाया हो
       दुख से रहोगे दूर जो तुम्हारे ऊपर उसकी साया हो
       खिलखिलाता बचपन जिसके साथ बिता है
       हां वो एक पिता है।

       करता देश की सेवा बनकर कोई नेता तो कोई फौजी बनकर
       कोई मजदूर है तो कोई जीता है किसान बनकर
       कोई दुकानदार है तो कोई दर्जी बनकर सीता है
       हां वो एक पिता है।

 



16.  कविता- बधाई हो सबको रक्षा बंधन का

       Poem- Badhai Ho Sabko Raksha Bandhan Ka

देखते ही देखते न जाने कब
इतनी बड़ी हो गई वो छोटी सी गुड़िया
जो खेलती थी गोद में या लगती थी सीने से
आज उसने मेरे कंधों को छू लिया
माना की वो हमसे लड़ती है
पर प्यार भी हमसे बहुत करती है
कैसे भूलूं बात बात पर लगे उन झगड़ों को
वो सील देती थी हमारे फटे कपड़ो को
मां बीमार है इसका कभी एहसास न होने दिया
हमें सबकुछ देकर खुद के इच्छाओं का निष्कास न होने दिया
वो जो है तो जिंदगी में कोई गम नहीं
हमारी बहना भी किसी परी से कम नहीं
हमेशा ख्याल रखना यारों अपनी बहन का
बधाई हो सबको रक्षा बंधन का


17. Happy promise day poem (Valentine's week)

Happy promise day poem fannashayari



 मायूस एक क्षण के लिए भी तुझे होने न दूंगा
बोझ गम का कोई तुझे ढोने न दूंगा
तेरी ज़िंदगी सवांरकर खूबसूरत करूंगा
मर के भी पूरी तेरी हर एक ज़रूरत करूंगा
हिमाकत नहीं मेरी जो कभी तेरा दिल दुखाऊंगा
नम आंखों की मैं सारे आंसू सुखाऊंगा 
रहूंगा हरदम तैयार तेरे हर दर्द की मरहम के लिए
रहना तू मेरी मैं रहूंगा तुम्हारा हर जनम के लिए
तुम्हारे बिना हर आरजू मेरा आधा रहेगा
वादा है कि मेरा प्यार हमेशा तुमसे ज्यादा रहेगा।
 



18. कविता- ये है प्रकृति की अदा रे

        Poem- Ye Hai Prakriti Ki Ada Re


                                               
ये धरती की हरियाली
हरियाली के नजारे,
झरने की कल कल की आवाज
और हवाओं के इशारे,
नीले आसमान की चादर
ये काले काले घटा रे,
वो चांद का निकलना
गगन में टिमटिमाते तारे,
वो समंदर की लहरे
वो घाटियों की बहारें,
ये पंछी दोस्त हमारे
चहचहाकर पुकारे,
देख रे पगले देख तू
ये है प्रकृति की अदा रे।






                  

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